छत्तीसगढ़ भगवान राम के मामा घर है और भगवान कृष्ण के ससुराल है इसलिए यहां धर्म, ईश्वर भक्ति ,सेवा , परोपकार,दानशीलता के प्रति अत्यंत आस्था है = संजय कृष्ण शास्त्री


*भगवान घर परिवार और समाज में परस्पर एक दूसरे का सम्मान करते हुए अपनत्व भाव रखने की प्रेरणा देते है *
**आप की आवाज**
*दिनेश दुबे 9425523689*
बेमेतरा =भवानी वाटिका के विशाल प्रांगण में शास्त्री परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पावन प्रसंग का दिव्य सुमधुर वाणी में संबोधित करते हुए कथा व्यास संजय कृष्ण शास्त्री जी द्वारा द्वारिका पूरी का वर्णन करते हुए भगवान कृष्ण के विवाह प्रसंग का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए बताया कि आठ पट्टरानियां ही आठ प्रकृति है, पृथ्वी ,जल, वायु, अग्नि,आकाश, मन बुद्धि अहंकार ही रानियां है । प्रकृति के आधीन रहे वह जीव है , प्रकृति जिनके वश में हो वह परमात्मा है । सोलह हजार एक सौ वेदों की ऋचाएं ही भगवान को प्राप्त करने के लिए प्रगट हुए हैं उन्हें भगवान ने वरण किया, भगवान परमपिता है जीव मात्र के पति है इस अर्थ में भगवान सबके संरक्षक है । आचार्य श्री छत्तीसगढ़ प्रांत की प्रशंसा करते हुए उन्होंने बताया छत्तीसगढ़ भगवान राम के मामा घर है और भगवान कृष्ण के ससुराल है इसलिए। यहां धर्म, ईश्वर ,भक्ति ,सेवा , परोपकार,दानशीलता के प्रति अत्यंत आस्था है, अपने स्वधर्म का पालन करते हुए जहां भगवत भजन ,सत्संग राम कथा,शिव कथा,कृष्ण कथा का प्रवाह होता है वहां प्रकृति संतुलित रहती है।भगवान के नाती का विवाह भी छत्तीसगढ़ के सिरपुर में हुआ, वह बाणासुर की राजधानी है ,बाणासुर शिव के परम भक्त था उपासना के बल पर हजार भुजा प्राप्त था। Us काल मंत्रात्मक विज्ञान था , ज्वर युद्ध ,मौसम युद्ध होता था ,भगवान शिव नारायण के उपासक है। *भगवान घर परिवार और समाज में परस्पर एक दूसरे का सम्मान करते हुए अपनत्व भाव रखने की प्रेरणा देते है । महाराज नृग के गिरगिट योनि से किस प्रकार मिली भगवान के कर कमल स्पर्श मात्र से वह मुक्त हो गया , ब्राह्मण के शाप का क्या परिणाम होता है वह इस कथा में निहित है ,अतः ब्राह्मणों का सम्मान प्रत्येक को करना चाहिए । भगवान के गृहस्थ जीवन का वर्णन करते हुए ब्यासजी ने बताया कि सभी पट् रानियों के पास एक साथ सभी महलों में सभी सबंधियो में देवर्षि नारद ने भगवान का दर्शन करके अभिभूत हो गए। देवर्षि तीन माह तक विचरण किए और कहा ,, धन्यो गृह स्थाश्रमः,,।इस प्रसंग में प्रभु के विराट रूप का दिग्दर्शन भागवत में कराया गया है ।वैदिक विधिविधान से जो यज्ञ होता है वही कल्याण प्रद है । युधिष्ठिर के द्वारा जो राजसूय यज्ञ किया गया उसमे सभी राजाओं को आमंत्रित किया गया था । उस यज्ञ में भगवान के द्वारा जो समिति बनाई गई थी उसमे सबसे छोटा कार्य भगवान ने स्वीकार किया था । आज की कथा में सुदामा ब्राह्मण की कथा को भी विस्तार से सरसपूर्ण बताया गया श्रोता के रूप दूरस्थ अंचल से सैकडो श्रद्धालु जन उपस्थित थे ।

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